शनिवार, 5 मार्च 2016

निराला : सरस्वती वन्दना




श्री हनुमान चालीसा-8

श्री हनुमान चालीसा

8.   प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
    
रामलषण सीता मन बसिया ॥

श्री हनुमान चालीसा-7

श्री हनुमान चालीसा
7.   विद्यावान गुणी अति चातुर ।
     राम काज करिबे को आतुर ॥

गुरु नानक


गुरु नानक



सूरदास--सखी री, मुरली भई पटरानी ।

सखी री, मुरली भई पटरानी ।
अधर सदा सुख करती स्याम कें,
सुधा       पियति     इतरानी ।।1।।

मोहे पसु,   पंछी    द्रुम  बेली ,
जमुना         उलटि  बहानी ।
सुर  नर  मुनि बस भए नाद कें ,
सबै बस्य      मन,      ध्यानी ।।2।।

तिहु      भुवन      में चली बड़ाई ,
अस्तुति   मुख          मुख गानी ।
सुर स्याम की  अब अरधंगिनि ,
रही   .  झार   .लापटानी ।।3।।  

 ---सूरदास 






सूरदास-मोहन मन मोह लियो

मोहन मन मोह लियो
ललित बेनु बजाई री ।
मुरली धुनि श्रवण सुनत
बिबस भई माई री ।।

लोक लाज कुल की
मरजादा बिसराई री ।
घर घर उपहास सुनत
नेकु ना लजाई री ।।

जप ताप बेदअरु पुरान
कछु ना सुहाई री ।
सूरदास प्रभु की लीला

निगम नेति गाई री ।।