शनिवार, 5 मार्च 2016

श्री हनुमान चालीसा-7

श्री हनुमान चालीसा
7.   विद्यावान गुणी अति चातुर ।
     राम काज करिबे को आतुर ॥

गुरु नानक


गुरु नानक



सूरदास--सखी री, मुरली भई पटरानी ।

सखी री, मुरली भई पटरानी ।
अधर सदा सुख करती स्याम कें,
सुधा       पियति     इतरानी ।।1।।

मोहे पसु,   पंछी    द्रुम  बेली ,
जमुना         उलटि  बहानी ।
सुर  नर  मुनि बस भए नाद कें ,
सबै बस्य      मन,      ध्यानी ।।2।।

तिहु      भुवन      में चली बड़ाई ,
अस्तुति   मुख          मुख गानी ।
सुर स्याम की  अब अरधंगिनि ,
रही   .  झार   .लापटानी ।।3।।  

 ---सूरदास 






सूरदास-मोहन मन मोह लियो

मोहन मन मोह लियो
ललित बेनु बजाई री ।
मुरली धुनि श्रवण सुनत
बिबस भई माई री ।।

लोक लाज कुल की
मरजादा बिसराई री ।
घर घर उपहास सुनत
नेकु ना लजाई री ।।

जप ताप बेदअरु पुरान
कछु ना सुहाई री ।
सूरदास प्रभु की लीला

निगम नेति गाई री ।। 




सूरदास--मुरलिया अपनौ काज कियो ।

मुरलिया अपनौ काज कियो ।
आपुन लूटति अधर सुधा हरि,
हम कौं दूरी कियौ ।। 1 ।।
                    - सूरदास
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मुरलिया अपनौ काज कियो ।
नन्द नन्दन बस भए बचन सुनि,
तिन्हैं  बिमोह कियो ।
स्थावर चर , जंगम जड़ कीन्हे,
मदन बिमोह कियौ ।।2 ।।
                    - सूरदास
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मुरलिया अपनौ काज कियो ।
जाकी दसा , रही नहीं वाही,
सबहि चकित कियौ।
सूरदास प्रभु चतुर सिरोमानि ,
तीन कौं हाथ लिऔ ।।3।।
                   - सूरदास

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सूरदास--माई, मुरली बजाई किन री ।



माई, मुरली बजाई किन री ।
नंद महर को कुँवर कन्हैयासूरदास,
रैनि न जानै दिन री ।।
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माई, मुरली बजाई किन री।
मोहे खग ,मृग औ पशु पालक ,
मोहे बन        उपवन री ।
चलत न नीर , थकित भई जमुना ,
गऊ न           चारै तृन री ।।2।।
                            सूरदास
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·       माई, मुरली बजाई किन री ।
·       मुरलि बजाई ,सब मन भाई,
·       स्र्वन सुन्यौ जिन जिन री ।
·       सूरदास सकल जन मोहे ,
·       मुरली की धुनि सुनि री ।।3।।
·            PKJ