मुरलिया अपनौ काज कियो ।
आपुन लूटति अधर सुधा हरि,
हम कौं दूरी कियौ ।। 1 ।।
- सूरदास
PKJ
मुरलिया अपनौ काज कियो ।
नन्द नन्दन बस भए बचन सुनि,
तिन्हैं
बिमोह कियो ।
स्थावर चर ,
जंगम जड़ कीन्हे,
मदन बिमोह कियौ ।।2 ।।
- सूरदास
PKJ
मुरलिया अपनौ काज कियो ।
जाकी दसा , रही
नहीं वाही,
सबहि चकित कियौ।
सूरदास प्रभु चतुर सिरोमानि ,
तीन कौं हाथ लिऔ ।।3।।
- सूरदास
PKJ
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