माई, मुरली बजाई किन री ।
नंद
महर को कुँवर कन्हैयासूरदास,
रैनि
न जानै दिन री ।।
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माई, मुरली बजाई किन री।
मोहे खग ,मृग औ पशु पालक ,
मोहे बन उपवन री ।
चलत न नीर , थकित भई जमुना ,
गऊ न चारै तृन री ।।2।।
सूरदास
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माई, मुरली बजाई किन री ।
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मुरलि बजाई ,सब मन भाई,
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स्र्वन सुन्यौ जिन जिन री ।
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सूरदास सकल जन मोहे ,
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मुरली की धुनि सुनि री ।।3।।
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PKJ
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