धर्म -आध्यात्म , भक्ति -आराधना से सम्बन्धित चित्र
शुक्रवार, 4 मार्च 2016
श्री हनुमान चालीसा-4
श्री हनुमान चालीसा
4.
कंचन बरण बिराज सुबेशा ।
कानन कुंडल कुंचित केशा ॥
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