मुरलिया एकै बात कही ।
भाग आपनौ अपने माथें ,
मानी यह मनहिं सही ।।1।।
-सूरदास
मुरलिया एकै बात कही ।
हम तें बहुत तपस्या नाहीं,
विरह जारी वह नाहीं ।
कहा निमिष करि प्रेम सुलाकी ,
देखो गुनि जिय माही ।।2।।
-सूरदास
PKJ
मुरलिया एकै बात कही ।
बात कहति कछु नींदति नाहीं ,
भाग
बड़े हैं वाके ।
सूरदास प्रभु चतुर सिरोमनि
ब्सय
भए हैं जाके ।।3।।
सूरदास
PKJ
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