जब जब मुरली कान्ह बजावत ।
---सूरदास
जब जब मुरली कान्ह बजावत ।
तब तब
राधा नाम उचारत,
बारंबार रिझावत ।।1।।
तुम रमनी , वे रमन तुम्हारे
,
वैसेहिं मोही
जनावत ।
मुरली भई सौति जो माई ,
तेरी टहल करावत ।।2।।
वह दासी , तुम्ह अरधंगिनि ,
यह
मेरे मन आवत ।
सूर प्रगट ताही सौं कही कही
तुमको स्याम बुलावत ।।3।।
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